लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को खल रही कद्दावर नेताओं की कमी

 पिछले पांच वर्षो के दौरान एक के बाद एक दिग्गज नेताओं के दामन झटक लेने के बाद अब लोकसभा चुनाव के मौके पर कांग्रेस को इनकी कमी शिद्दत से महसूस हो रही है। पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि बड़े नेताओं की गैर मौजूदगी में दूसरी पांत के नेता अपनी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। 
प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी ने दिल्ली में व्यस्त कर दिया है। हालांकि इसकी वजह प्रदेश कांग्रेस में दूसरी पांत को विकसित करना और गुटबाजी पर विराम लगाना ही था। 
उत्तराखंड में मुख्यतया कांग्रेस और भाजपा ही व्यापक जनाधार रखती हैं। राज्य गठन के बाद पहले और तीसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई, जबकि दूसरे और चौथे विधानसभा चुनाव में भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला। 
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के अनुसार उत्तराखंड में कांग्रेस में दूसरी पांत के नेताओं के आगे आने का जो सवाल है, उसका जवाब प्रदेश प्रभारी ही दे सकते हैं। वैसे, उत्तराखंड कांग्रेस में सशक्त नेताओं की कोई कमी नहीं है। कांग्रेस के पास कई प्रतिभवान नेता हैं और राजनीति में चमक भी बिखेर रहे हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से पार्टी की मजबूती के लिए लगा हुआ हूं, भाजपा की केंद्र व राज्य सरकारों के खिलाफ मुद्दों को उठाता रहा हूं। 

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