असम में घुसपैठ की कोशिश करते 27 हजार लोगों को खदेड़ा गया: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि इस समय असम में छह हिरासत शिविरों में 938 व्यक्ति हैं जिनमें से 823 को न्यायाधिकरणों ने विदेशी घोषित किया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को केंद्र ने बताया कि 27,000 से अधिक विदेशियों को भारत में गैरकानूनी तरीके से घुसपैठ के दौरान सीमा से वापस खदेड़ दिया गया।

केंद्र ने शीर्ष अदालत द्वारा 28 जनवरी को पूछे गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा था कि असम में कितने हिरासत शिविर चल रहे हैं और पिछले दस साल के दौरान इनमें से कितने विदेशियों को हिरासत में लिया गया।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने हलफनामों में विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 47 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं जबकि असम ने विभिन्न सुविधाओं वाले नए हिरासत केंद्र की इमारत के लिए भूमि उपलब्ध कराई है। यह मानवाधिकार के मुद्दे को भी ध्यान में रखेगा। मेहता ने कहा कि नया हिरासत केंद्र 31 अगस्त तक बन कर तैयार हो जाएगा।  

इस दौरान अदालत ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें 42 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया है। क्या इसका अर्थ यह है कि वे विदेशी हैं? अदालत ने उल्लेख किया कि न्यायाधिकरण ने केवल 52,000 को विदेशी घोषित किया और केंद्र ने केवल 162 को वापस भेजा। ऐसी स्थिति में असम सरकार पर लोग भरोसा कैसे कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि असम में अवैध प्रवासियों की समस्या पिछले 50 साल से है। आखिर उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए।

More videos

See All