किसानों के मुद्दों को कांग्रेस से छीनने की कवायद में जुटी भाजपा

 छत्तीसगढ़ की राजनीति इन दिनों किसानों के इर्दगिर्द सिमटती दिख रही है। दरअसल माना यह जा रहा है कि कांग्रेस किसानों की कर्जमाफी का वादा करके 15 साल की भाजपा सरकार को अपदस्थ करने में कामयाब रही। जब किसानों के वोट इतने महत्वपूर्ण हैं तो जाहिर है कि उन्हें अपने पाले में करने की होड़ भी मचेगी।
कांग्रेस का कर्जमाफी और धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये करने का वादा काम कर गया। बाद में मायूस भाजपा नेताओं के 
भाजपा जानती है कि अगर लोकसभा में कुछ बेहतर करना है तो किसानों का समर्थन जरूरी होगा। राज्य की 75 फीसद आबादी खेती-किसानी से जुड़ी है। इससे साफ है कि बिना किसानों के समर्थन के किसी दल की दाल नहीं गलने वाली। तो भाजपा ने चुनाव हारने के साथ ही पहले मंथन किया, सोचा कि किसान जरूरी हैं और जुट गई।
अब भाजपा किसानों के ऐसे हर मुद्दे उठा रही है जो उसने खुद सरकार में रहते हुए दरकिनार कर रखे थे। भाजपा किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस भी जानती है कि थोड़ी भी चूक हुई तो बाजी पलट जाएगी। इसीलिए कांग्रेस की सरकार ने नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के बहाने गांव और किसान को ही फोकस में रखा है।
किसानों के मुद्दे पर भाजपा लगातार हमलावर है। पार्टी ने पहले तो कर्ज माफी को ही शिगूफा बताकर हमला किया। कहा कि कर्ज माफी हुई नहीं है। बैंकों ने एनओसी नहीं दी इसलिए किसान दूसरा कर्ज नहीं ले पा रहे हैं। खाद-बीज, पानी सभी दिक्कतों को भाजपा गिना रही है। सोमवार को विधानसभा में मुद्दा उठाया कि सबकी आधी बिजली माफ की तो किसानों को क्यों छोड़ा।
कांग्रेस ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि उन्हें तो पहले ही फ्लैट रेट के हिसाब से छूट मिली हुई है। हालांकि भाजपा को सरकार की यह सफाई पसंद नहीं आई और उसने सदन से बहिर्गमन कर इस मुद्दे को और हवा देने की कोशिश की। यह अलग बात है कि घरेलू बिजली में जो छूट सबको मिल रही है वह किसानों को भी मिल रही है। भाजपा नेता बैंकों के सामने जाकर प्रदर्शन कर रहे हैं और कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं। जाहिर है कि किसानों के हक की लड़ाई इन दिनों पार्टी के लिए खासी अहम बन गई है।
अब सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कह दिया कि किसानों को बाड़ी के विकास के लिए भी सरकार मदद देगी। धान के समर्थन मूल्य को 25 सौ तक पहुंचाकर कांग्रेस इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने को आतुर है। सरकार नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी का जमकर शोर मचा रही है। इस योजना को ध्ारातल में आने में अभी वक्त लगेगा पर तब तक लोकसभा चुनाव तो निपट ही जाएंगे।

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