झीरम का चश्मदीद सरकार में मंत्री, कैसे जांच करेगी SIT

 गृह विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा में विधायक शिवरतन शर्मा ने झीरम कांड पर गठित एसआइटी का मुद्दा उठाया। शिवरतन ने कहा कि सरकार का एक मंत्री झीरम कांड का चश्मदीद गवाह है। ऐसे में मंत्री के प्रभाव में एसआइटी कैसे जांच कर सकती है।
सरकार को घेरते हुए शर्मा ने कहा कि विपक्ष में रहने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते थे कि उनके पास झीरम से जुड़े सबूत हैं, लेकिन उसे उजागर कर देंगे तो गवाहों को सुरक्षा नहीं मिलेगी। अब कांग्रेस की सरकार है और गवाहों को सुरक्षा दी जा सकती है। फिर किस लिए मुख्यमंत्री अब तक प्रशांत मिश्रा की न्यायिक जांच आयोग को सबूत नहीं दे रहे हैं। शर्मा ने कहा कि नक्सलवाद पर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है।
विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस के स्टार प्रचार का वक्तव्य आया कि नक्सली क्रांति की ओर बढ़ रहे है। इस पर पूरी कांग्रेस मौन रही। यह सिद्ध करता है कि कांग्रेस का बस्तर में नक्सलियों के साथ गठजोड़ था। इस पर बस्तर के विधायक मोहन मरकाम और अन्य ने आपत्ति दर्ज कराई।
शिवतरन ने कहा कि सीएम न्यायिक जांच आयोग के सामने तथ्य रखें, अगर वे तथ्य नहीं रखते हैं तो मैं उन पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाता हूं। शर्मा ने कहा कि सरकार एसआइटी बनाकर पूर्ववर्ती सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रही है।
अंतागढ़ टेप कांड में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की याचिका को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। ऐसे में अब एसआइटी बनाकर कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं। नान घोटाले में अधिकारियों पर दबाव डालकर बयान दर्ज कराया जा रहा है। एक अधिकारी कोर्ट में सुरक्षा की गुहार लेकर पहुंचा था।
शर्मा ने कहा कि चुनाव के दौरान टिकट बेचने की एक सीडी आई थी, जिसमें मुख्यमंत्री के साथ मंत्री टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू का भी नाम आया था। उस पर क्यों एसआइटी नहीं बना रहे हैं।
सरकार विपक्ष को प्रताड़ित करने का काम कर रही है। जनहित की जगह अपने हितों के मुद्दों पर एसआइटी बना रही है। इस पर मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि लोकतंत्र में किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोकना और उसकी जांच करना क्या जनहित का मुद्दा नहीं है। पहला विपक्ष देख रहा हूं, जो जांच का विरोध कर रही है।

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