आयुष्मान भारत से मिल रही नई जिंदगी, गोल्डन कार्ड बनाने वालों में जम्मू-कश्मीर दूसरे नंबर पर
जम्मू संभाग के रामबन की रहने वाली 22 वर्षीय सलमा कई दिनों से बीमार थी। पिता की मौत हो गई थी और घर में सिर्फ मां ही थी। इलाज के लिए पैसे नहीं थे। डेढ़ महीने पहले उसे आयुष्मान भारत की घर में चिट्ठी मिली। रामबन जिला अस्पताल में जाकर उसने गोल्डन कार्ड बनाया। पिछल सप्ताह ही वह इलाज के लिए राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में आई। उसे पत्थरी थी। यहां पर उसका न सिर्फ इलाज हुआ बल्कि यहां पर डाक्टरों ने उसे ब्लड तक अस्पताल से दिया। दो दिन पहले ही उसे छुट्टी हुई। पूरा परिवार काफी खुश था कि उनका इलाज हो गया।
श्रीनगर की रहने वाली चार वर्षीय सितारा अख्तर को निमोनिया था। उसकी हालत कफी गंभीर हो गई। उसे श्रीनगर के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उसके पूरे इलाज के लिए 55 हजार रुपये लगे। उसके परिजनों का कहना था कि अगर उनका गोल्डन कार्ड नहीं बना होता तो शायद ही उनकी बेटी की जान बच पाती। इस तरह के कई लाभार्थी हैं जिनके पास इलाज करवाने के लिए रुपये नहीं थे और अब वे इलाज करवा रहे हैं।