जेटली साहब सुनिए, यंग इंडिया अधिकार मार्च में बेरो़गारी और बेरोज़गारों की गूँज

जब भी बेरोज़गारी का सवाल उठता है तो सरकार आँकड़े न होने का हवाला देती है। उबर और ओला के उदाहरण से युवाओं के ज़ख्मों पर नमक कुरेदने की कोशिश करती है। लेकिन इन सबके बीच आँकड़े बताने वाली संस्था के कार्यवाहक प्रमुख इस्तीफा दे देते हैं यह कहते हुए कि सरकार आँकड़े सार्वजनिक नहीं कर रही।
अरुण जेटली एक ट्वीट करते हैं कि अगर देश में बेरोज़गारी इस हद तक है तो आखिर क्यों नहीं एक भी बड़ा छात्र आँदोलन देखने को मिलता है? 
जेटली साहब, क्या यही नीयति है भारत के युवाओं की। पहले पढ़ाई करें। रिक्तियों का इंतज़ार करें। परीक्षा दें। परीक्षा के कैंसल होने का इंतज़ार करें। फिर से परीक्षा दें और फिर परिणाम और नियुक्ति के लिए आंदोलन? 

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